बहुत समय पहले जब कुछ भी नहीं था , केवल शून्य था और तभी कई साल बाद भगवान श्री नारायण की उत्पत्ति हुई तथा उसके भी कई वर्षो के बाद श्री नारायण के नाभि से एक कमल पुष्प निकला और उसी से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई , ब्रह्मा जी ने श्री नारायण को देख कर बोले चलो कोई तो मिला कई सालो से अकेले भटक रहा था कोई तो मिला और तभी श्री नारायण और ब्रह्मा जी में इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई की कौन पहले आया बहस जब बहुत बढ़ गई तो अंतरिक्ष में अग्नि का एक विशाल लिंग उत्पन्न हुआ ,इतना विशाल की उसका कोई अंत और शुरुआत का कोई पता नहीं चल रहा था ।
और वो बोले आप दोनों में श्रेष्ठ कौन है इसका फैसला मै करूँगा और बोले आप दोनों मे से जो इस लिंग के अंत तक पहुंच जायेगा वही श्रेष्ठ कहलायेगा। दोनों लोग इसकी खोज में निकल पड़े ब्रह्मा जी ऊपर की ओर गए और श्री नारायण नीचे की ओर बहुत कोशिश के बाद श्री नारायण ने कहा की इसका कोई अंत नहीं है लेकिन ब्रह्मा जी को अंत न मिलने पे बोले मुझे इसका अंत खोजने की क्या जरूरत यही इसका अंत है मैं ही श्रेष्ठ हूँ और मैं शवयं ही अनंत हूँ ब्रह्मा जी के ऐसा कहने पे भगवन शिव क्रोधित हो कर बोले असत्य है ये
और वहाँ प्रकट होकर बोले असत्य है ये कहना की मैंने जान लिया है मैंने अंत पा लिया है क्या अपने प्रारम्भ पा लिया है , और श्री नारायण से पूछे की आप क्या कहेंगे श्री नारायण और श्री नारायण ने कहा इसका न कोई प्रारम्भ है और न ही कोई अंत है , ये ज्ञान की भाँति अनंत है ,तब शिव जी बोले आप दोनों का जन्म इसी अग्नि स्तम्भ से हुआ है , इसी ऊर्जा से हुआ है मुझसे हुआ है ,जब सब कुछ जान लेने का अहंकार हो जाये ज्ञान का अहंकार हो जाये वो कदापि अच्छा नहीं होता और ब्रह्मा जी से बोले की आप सृष्टि कर्ता तो होंगे लेकिन पूजे नहीं जायेंगे। ये थी भगवन भोले नाथ की जन्म की कहानी आपको कैसी लगी । हमें कमेंट में जरूर बताये ।
हर हर महादेव जय महाकाल
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