नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा हिंदी में Nageshvara Jyotirlinga History and Story in Hindi

0
4973
jyotirlinga in maharashtra,mallikarjuna jyotirlinga,12 jyotirlinga mantra,jyotirlinga story,12 jyotirlinga images,jyotirlinga temples list
Nageshvara Jyotirlinga,Jyotirlinga,Nageshwar Jyotirlinga Temple,Nageshwar Jyotirlinga Darshan,NageshwarJyotirlinga,Nageshwar,12 Jyotirlinga,Nageshwar JyotirlingJyotirling,Nageshwar Jyotirlinga Story,Nageshwar Jyotirlinga Videos,Nageshwar Jyotirling Kath,How To Reach Nageshwar Jyotirlinga,Nageshwar Jyotirlinga Temple Dwarka,Jyotirlinga Darshan,12 Jyotirlinga Darshan,12 Jyotirling,Sri Nageshvara Jyotirlinga Kshetram Nageshvaram

Nageshvara Jyotirlinga,Jyotirlinga,Nageshwar Jyotirlinga Temple,Nageshwar Jyotirlinga Darshan,NageshwarJyotirlinga,Nageshwar,12 Jyotirlinga,Nageshwar JyotirlingJyotirling,Nageshwar Jyotirlinga Story,Nageshwar Jyotirlinga Videos,Nageshwar Jyotirling Kath,How To Reach Nageshwar Jyotirlinga,Nageshwar Jyotirlinga Temple Dwarka,Jyotirlinga Darshan,12 Jyotirlinga Darshan,12 Jyotirling,Sri Nageshvara Jyotirlinga Kshetram Nageshvaram
बैजनाथ ज्योतिर्लिंग के अनुसार ही इस लिंग के भी स्थान में लोगों में मतभेद है शिव पुराण और द्वादश ज्योतिर्लिंग के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दारूक वन में स्थापित है।लेकिन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से तीन मंदिर प्रसिद्ध है।
1.द्वारका, गुजरात
2.अल्मोड़ा, उत्तराखंड
3.हिंगोली, महाराष्ट्र
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा शिव पुराण के कोटिरुद्रसंहिता में वर्णित है, एक बार एक दारूका नामक राक्षसी अपने पति दारुक के साथ एक वन में रहा करती थी दारू का मां पार्वती के दिए हुए आशीर्वाद से इस वन को कहीं भी ले जा सकती थी। वह अपने पति के साथ मिलकर पूरे वन में उत्पात मचा रखा था। जिस से परेशान होकर लोग महर्ष और्व की शरण में जाकर उन्हें अपनी परेशानी से अवगत कराया । महर्षि और्व शरणागत की रक्षा के लिए राक्षसों को यह श्राप दिया कि अगर राक्षस मानव जाति को पृथ्वी पर कष्ट पहुंचाएंगे या यज्ञ का नाश करेंगे तो यह स्वयं ही नष्ट हो जाएंगे । जब यह खबर देव लोक में बैठे देवताओं को मिली तो उन्होंने राक्षसों पर आक्रमण कर दिया तो सभी राक्षस असमंजस में पड़ गए कि अगर वह पृथ्वी पर युद्ध करते हैं तो वह स्वयं ही नष्ट हो जाएंगे अगर नहीं करें नहीं करेंगे तो युद्ध में परास्त हो जाएंगे। इस स्थिति में दारूका उस वन को उड़ा कर समुद्र में ले गई, फिर राक्षस लोग समुद्र में निर्भय होकर रहने लगे एक बार मनुष्य से भरी बहुत सी नावे वहां जा पहुंची सोने सभी मनुष्य को बंदी बना लिया उन सभी में एक सुप्रीय नाम का शिव भक्त भी था उसने कारागार में रहकर भी शिव का पूजन नहीं छोड़ा आप उपस्थित कई लोगों को भी पूजा करना सिखा दिया। इस प्रकार सुप्रिय और उसके साथी प्रतिदिन शिव पूजा करने लगे जब दारुक राक्षस को इस कार्य का पता चला तो उसने सुप्रिय को धमकाया मारने के लिए दौड़ा, सुप्रिय ने भगवान शिव का आह्वान किया। अपने भक्तों की पुकार सुनकर भगवान शिव वहां पर प्रकट हो गए सभी राक्षसों को नष्ट कर दिया।यह देख कर दारुक पत्नी के पास भागा भगवान शिव ने यह वरदान दिया की आज से इस वन में चारों वर्ण के लोग अपने धर्म का पालन कर सकते हैं। और किसी राक्षस का यहां पर कोई स्थान नहीं है। भगवान शिव का यह वचन सुनकर दारूका भयभीत हो गई । शिव जी के क्रोध से बचने के लिए दारूका ने माता पार्वती की तपस्या की और उनसे यह वर मांगा की मां मेरे वंश की रक्षा कीजिए। मां पार्वती ने उसे आश्वासन देते हुए भगवान भोलेनाथ से कहा हे नाथ आपका वचन तो सत्य ही है। परंतु या राक्षस पत्नियां जिन पुत्रों को जन्म देंगी। सब इस वन में रह सकते हैं ऐसी मेरी इच्छा है,तब भगवान भोलेनाथ ने कहा तथास्तु लेकिन मैं अपने भक्तों का पालन करने के लिए लिंग रूप में इस वन में रहूंगा। इस प्रकार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई।

                                                              
                                                                 ॐ हर हर महादेव जय महाकाल ॐ
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कथा Click here
मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कथा Click here
महाकाल ज्योतिर्लिंग कथा  Click here
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा  Click here
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग कथा  Click here
भीम शंकर ज्योतिर्लिंग कथा   Click here
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कथा Click here
त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा   Click here
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कथा Click here
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा Click here
डाउनलोड महाकाल वाणी मोबाइल ऐप्प Click Here