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जानिए क्या कहा प्रभु श्री राम ने जब माता सीता ने उनसे प्रश्न किया हे प्रभु दुनिया में तो आपके बहुत बड़े बड़े भक्त होंगे लेकिन हनुमान में ऐसा क्या है जो और किसी में नहीं, माता सीता का यह प्रश्न सुनकर श्री रामचंद्र जी बड़े भावुक हो गए और बोले सीता अगर मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर सिर्फ तुम्हें बताया और कोई यह नहीं सुना तो मैं अपने परम भक्त महाबली हनुमान का अपमान करूंगा। फिर प्रभु श्री राम बोले सीता अगर आपको यह उत्तर जानने की इच्छा है तो आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि इस प्रश्न का उत्तर मैं कल भरे दरबार में दूंगा।
अगले दिन जब सुबह दरबार लगा सीता जी ने उत्सुकता बस फिर वही प्रश्न कहा हे प्रभु अब तो दरबार लग गया है, अब मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिए, सीता जी की बात सुनकर प्रभु श्री राम बोले सीता मैंने तीनों लोगों में अपने दिव्य दृष्टि से देखा है मुझे हनुमान से बड़ा भक्त कोई नहीं दिखा मैंने सारे लोको में बड़े-बड़े तपस्वी और ज्ञानियों को देखा है वे सभी बल बुद्धि विद्या में हनुमान से श्रेष्ठ नहीं है, क्योंकि मेरे जितने भी भक्त हैं वे दिखने में तो बहुत ही भले हैं लेकिन उनका मुझसे कुछ ना कुछ स्वार्थ जरूर जुड़ा हुआ है अगर वे मेरा नाम लेते हैं तो उन्हें मुझसे कुछ ना कुछ लालसा जरूर होती है किसी को रहने के लिए छत चाहिए, किसी को प्रिय भोजन की लालसा है तो कोई यह चाहता है कि उसी मोक्ष मिल जाए लेकिन आज तक हनुमान ने मुझसे मिट्टी का एक कण नहीं मांगा उसके लिए मैं और मेरी भक्ति ही सब कुछ है। यह सुनते ही सीता जी भी करुणा से भर गई और सोचने लगी मैंने भी क्यों अपने प्रभु से यह प्रश्न किया और वह भी यह बात मान गई सच में हनुमान से बड़ा भक्त और कोई नहीं है। इसके बाद माता सीता ने श्रीराम से यह आग्रह किया कि हे प्रभु हनुमान ने हमारी इतनी सेवा की है जी आप कोई उपहार ही क्यों ना दे देते।
माता सीता के यह भजन सुनकर प्रभु श्री राम थोड़ा मुस्कुराए और बोले हे सीता तुम बात तो ठीक कह रही हो लेकिन यह मुझसे कुछ लेगा ही नहीं तू माता सीता ने फिर कहा आप हनुमान को कोई वरदान ही क्यों ना दे देते, माता सीता की यह बात प्रभु श्री राम को सही लगी और प्रभु श्री राम जो स्वयं नारायण के अवतार हैं उन्होंने हनुमान को यह वरदान दिया कि कलयुग मैं सबसे पूजनीय देवता महाबली हनुमान होंगे इन्होंने मुझे अपने भक्ति और प्रेम से जीत लिया है।
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