रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कथा हिंदी में Rameshwara Jyotirlinga History and Story in Hindi

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Jyotirlinga Temples
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ज्योतिर्लिंग का निर्माण स्वय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने किया था। यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम नामक स्थान पर स्थित है। यह कथा शिव महापुराण में वर्णित है। बात उस समय की है, जब रावण ने माता सीता का हरण करके लंका ले गया था। और सीता माता का खोज करने के लिए जब भगवान श्री राम तट पर पहुंचे तो वे देखें की लंका समुद्र के ठीक उस पार है। इसे देखकर भगवान श्री राम असमंजस मैं पड़ गए की समुद्र पार कैसे होगा और वह या चिंतन करने लगे कि कैसे समुद्र पार होगा, और कैसे रावण को हराया जाएगा। वैसे तो भगवान श्री राम भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे और वह हर रोज भगवान शिव की स्तुति किया करते थे किंतु किसी कारणवश तथा उनके सामने आई कठिनाइयों के वजह से उस दिन भगवान श्री राम, भगवान शंकर की पूजा अर्चना करना भूल गए थे। तभी अचानक उन्हें प्यास लगने लगी, और उन्होंने पानी के लिए गुहार लगाई। वहीं पर खड़े एक बंदर ने भगवान श्री राम के लिए मीठा जल ले आया। भगवान श्री राम जल को अपने मुंह से लगाने जा ही रहे थे। कि उन्हें ज्ञात हुआ की आज तो उन्होंने भगवान शिव की पूजा अर्चना की ही नहीं। ऐसा आने के पश्चात भगवान राम ने वहीं पर अपने हाथों से भगवान शिव का पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की और भगवान शिव से कहा की है महेश्वर आपके सहयोग के बिना मेरा कार्य सिद्ध होना बहुत ही कठिन है आपके दिए हुए आशीर्वाद से रावण बहुत ही शक्तिशाली और अजेय हो गया है। आपसे मिले वरदान से वह हमेशा गर्व से भरा रहता है, आप अपने दास पर कृपा करें। ऐसा कहने पर भगवान शिव उनके सामने प्रगट हो गए, और उनसे वरदान मांगने को कहा, हे प्रभु मेरी जीत सुनिश्चित करें और लोक कल्याण के लिए यहीं पर वास करें। फिर भगवान शिव ने श्री राम को वर दिया और वहीं पर सदा के लिए रामेश्वर के रूप में रहने लगे।

                                                              ॐ हर हर महादेव जय महाकाल ॐ
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