Scientific Reason For Ear Piercing In Hindi, ear piercing for boys, scientific reasons behind Indian beliefs, ear boring meaning, disadvantages of ear piercing, scientific reason for wearing bangles, effects of wearing toe rings, ear piercing ceremony dates, scientific reasons behind superstitions, ear piercing for babies in India, to pierce or not to pierce
कानों में कुंडल पहनने के फायदे
गरुड़ पुराण के अनुसार जन्म से लेकर मृत्यु तक के 16 संस्कारों में से कान छेदन भी एक महत्वपूर्ण संस्कार है स्त्री और पुरुष दोनों के लिए बना हुआ है आइए जानते हैं यह संस्कार वाकई में होता क्या है क्यों इसे पुराने समय में बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता था।
कई शोधकर्ताओं ने यह माना है कि अगर कानों के कुंडल हटा लिया जाए हमारे सोचने समझने की क्षमता में काफी परिवर्तन आता है अक्सर आपने देखा होगा कि आज कल के पुरुष की याददाश्त काफी कमजोर होती जा रही है उन्हें ज्यादा पुरानी बातें बहुत जोर देने पर भी याद नहीं आती वहीं पर हमारी माताएं बहने जिनके कान छेदे हुए रहते हैं, उन्हें छोटी से छोटी पुरानी बातें याद रहती है। पुराने समय में पुरुषों के साथ भी ऐसा था आज भी हमारे बड़े बुजुर्ग जो अधिकतर गांव में रहते हैं उनके कान छिदे हुए रहते हैं। कानों में छेद करने से हमारे आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है तथा हमारी याददाश्त काफी मजबूत हो जाती है तथा हमारे सोचने समझने की क्षमता भी अच्छी हो जाती है। तभी आप लोगों ने देखा होगा कि पुराने समय में और कहीं कहीं आज भी स्कूलों में जब छोटे बच्चे किसी बात को बार बार समझाने पर भी नहीं समझ पाते हैं तथा किसी प्रश्न का उत्तर देने में सक्षम नहीं होते हैं तो उन्हें शिक्षक कान पकड़ के खड़े रहने की सजा देते थे और कहीं कहीं आज भी देते हैं हमारे कई ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है कान में कुछ ऐसे बिंदु होते हैं जिसे दबाने से हमारी बौद्धिक क्षमता याददाश्त मजबूत होती है इससे हमारे मन की चंचलता भी शांत होती है बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके मन में अनेक तरह के विचार आते हैं तथा वह किसी एक विचार पर बिना tik नहीं पाते ऐसे लोग अगर अपने काम को दबाए कानों में कुंडल धारण करने से इस प्रकार की समस्या का समाधान हो जाता है ।
कान छेदन संस्कार के तरीके:- हमारे शास्त्र कहते हैं कि यह संस्कार 6 से लेकर 18 महीने तक के बच्चों के हो जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो जब आपकी आयु किसी विषम संख्या में हो जैसे 3 साल, 5 साल, 7 साल, 9 साल, 11 साल, इसी तरह से आगे बढ़ते हुए इन्हीं वर्षो में होना चाहिए। ध्यान रखने वाली बात यह है यह संस्कार बालकों में पहले दाहिना कान छेदना चाहिए, फिर बाया तथा बालिकाओं में यह क्रम उल्टा हो जाता है उनका पहले बाया कान छेद ना चाहिए फिर दाहिना बालिकाओं में एक चीज और होती है उनका नाक भी छेदा जाता है और वह भी बाया इससे यह लाभ होता है कि महिलाओं तथा बालिकाओं को ह्रदय संबंधित रोग स्वास रोग, सर दर्द की समस्याओं से छुटकारा मिलता है ज्यादातर यह देखा गया है कि जिन महिलाओं तथा बालिकाओं के नाक में छेद हुआ है वह इन रोगों से बची रहती है।
गरुड़ पुराण में यह बताया गया है जिन व्यक्तियों के कारण छेदन संस्कार नहीं हुआ है वह किसी भी श्राद्ध कर्म करने का अधिकारी नहीं है अगर ऐसा व्यक्ति श्राद्ध कर्म करता है पीड़ित व्यक्ति को मुक्ति ही नहीं मिलती है।
धातु:-आजकल देखा जाता है कि ज़्यादातर माताएं बहने नकली धातुओं से बने आभूषण को धारण करती हैं, जिससे उन्हें तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, आपको सलाह दी जाती है कि इन चीजों से बचें तथ आप कानों में कुंडल के लिए सोने तथा चांदी धातु का ही प्रयोग करें।